हमारे लोग
.............
हमारे लोग
जो खाते थे
एक साथ
एक साथ
सुबह शाम होता था
वे अब
कहीं किसी और के साथ
सुखद पल जी रहे हैं
हमें पुराना दोश्त कह कर
नये रिश्ते
अब खोज रहे हैं
हमारे लोग
कहीं और जा रहे हैं
वहीं छोड़कर
कवि जयचन्द प्रजापति
जैतापुर,हंडिया,इलाहाबाद
.............
हमारे लोग
जो खाते थे
एक साथ
एक साथ
सुबह शाम होता था
वे अब
कहीं किसी और के साथ
सुखद पल जी रहे हैं
हमें पुराना दोश्त कह कर
नये रिश्ते
अब खोज रहे हैं
हमारे लोग
कहीं और जा रहे हैं
वहीं छोड़कर
कवि जयचन्द प्रजापति
जैतापुर,हंडिया,इलाहाबाद
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