शुक्रवार, 20 मई 2016

लेखक जयचन्द प्रजापति' कक्कू' का लेख...

आओ आगे बढ़ें......

प्रजापति भाइयों सादर प्रणाम..

आज परिवर्तन की आँधी में हमारा भी बहाव तीव्रता से होना शुरू
हो गया है.यह एक नई सोंच का ही परिणाम है.वह दिन दूर नहीं जिस
दिन हमारा भी परचम हिन्दुस्तान क्या पूरे विश्व में फैलेगा.यह बदलाव 
हमारे खासकर युवाओं की सोंच का नतीजा होगा.अब हमारी क्रान्ति की आग 
भड़की है.इसको बुझने नहीं देगें और इस क्रान्ति की मशाल को आगे युवा वर्ग
बढ़ायेंगें.

प्रजापति समाज को कुछ लोगों की नियत में गंदी जाति वाली जाति की
संज्ञा देते हैं.कमजोर समाज कह कर दबाने का प्रयत्न किया जाता है.
आगे बढ़ने से रोकने की प्रवृत्ति कुछ जातियों द्वारा देखी जाती है.यह 
हमारी कमजोरी या सहनशीलता का परिणाम हो सकता है.हम ठीक ढंग से 
विरोध नहीं कर पातें हैं.इसका मुख्य कारण हमारी युनिटी का न होना.
हम असंगठित है.हमारे अंदर विखराव की भावना है.इसी कारण कहीं कहीं 
हमारे समाज के लोगों को दुर्दिन देखने को मिलता है.हम टूटे से नजर आते हैं
या कमजोर साबित हो जाते हैं.इन प्रवृत्तियों से बचने के लिये संगठित सोंच
हमारी शक्ति को दुगुना कर सकती है.

हमारे समाज में कुछ प्रवृत्तियां किसी की सहानुभूति पानें की इच्छा बनी रहती है.
दुःखड़ा रोने की.यह भी प्रवृत्ति हमें शोषण का शिकार बना देती है.अंदर से मजबूत 
बनने की जरूरत है.आर्थिक शक्तिहीनता के कारण यह हमारी प्रवृत्तियां इस प्रकार की
हो जाती है.हमें आर्थिक शक्ति का भी हिस्सा बनना होगा.आर्थिक ढाँचा अगर मजबूत
है तो हर परिस्थितियों से लड़ने का साहस उत्पन्न होता है.

और खासकर सामाजिक व्यवहार हमें मजबूत करना होगा अगर सामाजिक व्यवहार
रूपी शक्ति कमजोर है तो हमें कई स्थितियों से जूझना पड सकता है.जातिगत सहयोग
की भावना भी रखनी होगी.अपने संगठन को अंदर से मजबूत बनाने की आवश्यकता है.
हीरोज संगठन आमजन प्रजापति से जुड़कर एक विशाल संगठन खड़ा कर सकता है.

गुजरात में जिस तरह से पटेलों का संगठन मजबूत हुआ और वहां एक क्रान्ति हो गई
और ऐसा मशाल जलाया कि पूरे हिन्दस्तान क्या विश्व तक आवाज पहुँची. इसके लिये
शहादत भी बहुत जरूरी है.जिस दिन ऐसा विगुल बजा उस दिन से प्रजापति की भी
आवाज पूरे विश्व पटल पर पहुँच जायेगी..क्रान्ति के लिये एक चिन्गारी शहादत के
लिये तैयार करना पड़ेगा....
                                                                       जयचन्द प्रजापति
                                                                       जैतापुर, हंडिया, इलाहाबाद



                      

महान कवि जयचन्द प्रजापति 'कक्कू' की कविता

वह लड़की
..............
वह लड़की 
उड़ना चाहती है
गगन में
नयी उड़ान से
रचना चाहती है
इतिहास
उसे मेहनत पर
पूर्ण भरोसा है
नहीं चाहती है
सहयोग किसी से
खुद के मेहनत से
करना चाहती है
नव निर्माण



जयचन्द प्रजापति कक्कू 
जैतापुर हंडिया, इलाहाबाद

रविवार, 15 मई 2016

ऐ हवा...कवि जयचन्द प्रजापति' कक्कू'

ऐ हवा
........
ऐ हवा
जाना उस गली में
वहीं रहती है
मेरी प्रियतमा
कहना उसे
टूट गया है
खाता भी नहीं
लाचार है
मिलने की आस लिये
ताक रहा है
सूख गया है
गेरूआ वस्त्र पहने
तेरा नाम लेकर
जिन्दा पड़ा है
चला नहीं जाता
बह रहे हैं
आँखों से सावन
नींद नहीं आती
पड़ा है वैसे
जैसे छोड़ गई थी
हाल बताना
ऐ हवा
तेरा उपकार
भूलूँगा नहीं


जयचन्द प्रजापति कक्कू
इलाहाबाद

शनिवार, 14 मई 2016

मेरा ख्वाब....कवि जयचन्द प्रजापति' कक्कू'

मेरा ख्वाब
.............

मेरा ख्वाब
तुम हो
तेरे बिन
अधूरा हूँ
तेरी अदा
तेरी चितवन
तेरी खूबसूरती ने
सोने नहीं दिया
दिवास्वप्न में
तेरी ही परछाईं
नजर आती रही
हर पल
तेरा रूप
तेरी अँगड़ाई
बेचैन करती रही
घूमता रहा
अपना ख्वाब लिये
कई सालों से
तुम्हे पाने के लिये
उम्र बिता दी
तेरे लिये
हर रस्मे तोड़ दी
छोड़ दिया
जमाने की रौनक
बस बढ़ता रहा
तेरी याद में
सचमुच
तू मेरी ख्वाब हो

जयचन्द प्रजापति कक्कू इलाहाबाद

मेरे पिया......जयचन्द प्रजापति' कक्कू'

मेरे पिया
...........
मेरी हालत
देखो
मेरे पिया
तड़प रही हूँ
बीते सावन से
अँखिया पथरा गई
नैन दुखने लगा
जीह्वा सूख गई
रट लगाते लगाते
देखूँ तेरी सूरत
कब आओगे पिया
रात बीत नही रही है
कैसे कहूँ
जी का हाल
बर्बादी दिख रही है
भरी दुपहरी में
सूख गई जवानी
होठों की पपड़ी
दिल की मजबूरी
पड़ी हूँ शैय्या पर
लौट आओ इस बेरी
नहीं पाओगे लाश मेरी
बन गई हूँ जिन्दा लाश

जयचन्द प्रजापति कक्कू
मो.07880438226

तेरे नैन...जयचन्द प्रजापति' कक्कू'

तेरे नैन
.........
तेरे नैन
तिरछी चितवन
से भरे हैं
गुलाबी प्यार के साथ
मुझे
पुकारते हैं
दूर से
एक चाहत लिये
हजारों यादें
पल पल
तेरी नैन
घूरते हैं
पीना चाहते हैं
प्रेम रस



जयचन्द प्रजापति कक्कू
मो.07880438226

तेरा चेहरा...कवि जयचन्द प्रजापति 'कक्कू'

तेरा चेहरा

तेरा चेहरा
कई सालों से
लूभा रहा है
बार बार
मुझसे कहता है
आ जाओ
एक रात
जी भर
देखो
मेरे चेहरे को
पी लो जी भर
लो अंगड़ाई
दिल भर के
कितनी खूबसूरत
भूलाना चाहता हूँ
तेरे चेहरे को
पर हर पल
समाई सी रहती हो
मेरी नजरों में
चाह कर भी
तेरे चेहरे का
मोह नहीं छोड़ पा रहा हूँ

जयचन्द प्रजापति कक्कू
मो.07880438226


मंगलवार, 10 मई 2016

स्त्री....कवि जयचन्द प्रजापति कक्कू

स्त्री
....
स्त्री
लड़ती है
समाज से
जब बोलती
सच्चाई
समाज के लोग
दबाना चाहते हैं
उसकी आवाज को
फिर भी
चट्टान की तरह
खड़ी है
डटी है
हर मोर्चा
संभालने के लिये
वह स्त्री
धन्य है

जयचन्द प्रजापति कक्कू
जैतापुर, हंडिया, इलाहाबाद

सोमवार, 9 मई 2016

मुसहर.....कवि जयचन्द प्रजापति' कक्कू'


मुसहर
........


मुसहर जीता है
गरीबी में
जिन्दगी के हालातों से
लड़ता है
जूझता है
रोज नई रोटी की तलाश में
टूटे सपनों के साथ
नहीं है कोई आशा
दर्द दिल में लिये
पी रहा है
जहर का घूँट
आजादी के बाद भी
वे अनपढ़ है
उनके बच्चे
बालश्रमिक हैं
आज तक
नहीं दिखी
कोई औरत नई साड़ी में
बिवशता व लाचारी कहें
या सरकारी नीति
जंगली जीवन के लिये मजबूर हैं

जयचन्द प्रजापति कक्कू
जैतापुर, हंडिया,इलाहाबाद
मो.07880438226


आधुनिक मीरा....कवि जयचन्द प्रजापति' कक्कू'

आधुनिक मीरा
...................
एक मीरा थी
जो प्रेम के खातिर
छोड़ दिया महल अटारी
वन वन घूमे
बन जोगिनी
नींद नआये दिन रैन
एक आधुनिक मीरा
जान दे रही है
पैसों के लिये
संस्कार हीन
जीवन बना ली है
बेंच दी
अपनी वाणी
ठुकरा दी
प्रेम के दामन को
बसा ली कुप्रवृत्तियों को
जी रही है
बनके आवारा
झूठ फरेब को
थामा है
अपने कोख में
बन गई नागिन
डस रही हो
किसी की मर्यादा को

जयचन्द प्रजापति कक्कू
जैतापुर, हंडिया,इलाहाबाद
मो.07880438226


रविवार, 8 मई 2016

जिनकी माँ नहीं होतीं हैं...कवि जयचन्द प्रजापति 'कक्कू'

जिनकी माँ नहीं होतीं हैं
.............................
माँ की परिभाषा
पूछना है
पूछ लो उनसे
जिनकी माँ नहीं होतीं हैं
जीते हैं 
बिन आँचल के
रोते हैं
बिन माँ के हाथ पकड़ कर
जीते हैं
बिन ममता के छाँव में
रात दिन बितता है
एक कसक रह जाती है
नहीं खिलखिलाता है
उनका हृदय
बस टकटकी लगाये
निहारता मन
बार बार
सूनी पगडंडी की ओर
कोसते हैं
जिन्दगी की कहानी को
न देने वाला कोई थपकिया
कौन लोरी सुनाये
भीगा सा मन
किसी कोने में
माँ का पता ढूँढ रही है


जयचन्द प्रजापति कक्कू
जैतापुर,हंडिया,इलाहाबाद
मो.07880438226

शनिवार, 7 मई 2016

माँ....कवि जयचन्द प्रजापति 'कक्कू'

माँ
...

माँ
स्नेह की
करूणा की
आँचल की
दया की
छाँव की
उदारता की
सहजता की
सुन्दर हृदय की
की प्रतिबिम्ब
होती है.


जयचन्द प्रजापति कक्कू
जैतापुर,हंडिया,इलाहाबाद
मो.07880438226

मेरी माँ....कवि जयचन्द प्रजापति' कक्कू'

मेरी माँ
........
मेरी माँ
सरलता.
विद्रोह की मूर्ति है
उदारता की प्रतिबिम्ब है
करूणा से भरी
सामाजिक विद्रुपताओ से
लड़ती हुई
एक पहचान है
जीवन संघर्ष सिखाती
जीवन की प्रेरणा स्रोत है
हमारी आशा है
हर पल साथ निभाती
करूँ गीत गाती
मेहनत की पुजारी है
अनुशासन जीवन की
लघु कथा है उसकी.


जयचन्द प्रजापति कक्कू
जैतापुर,हंडिया,इलाहाबाद
मो़07880438226

विमर्श......कवि जयचन्द प्रजापति 'कक्कू'

विमर्श
.......
विमर्श के अभाव में
जीवन शून्य है
सुंदर जीवन के लिये
विमर्श
जीवन का हिस्सा है
यही सहजता है
यहीं से चालू होता है
नवीनता
हर पल
किसी विषय पर
विचार होना
नई दिशा देने वाला होता है
यही रहस्य है
मानव प्रवृत्ति का
कमजोर वर्गों पर
विमर्श
नई चेतना से जोड़ता है
नई आशा
नई किरणें
नये संसार का निर्माण करती है


जयचन्द प्रजापति कक्कू
जैतापुर,हंडिया,इलाहाबाद
मो.07880438226

बेटी नैंसी......कवि जयचन्द प्रजापति 'कक्कू'

बेटी नैंसी
...........
तेरी याद
बनी है
मेरी यादों में
बेटी नैंसी
तेरी तोतली बातें
तेरा रूठना
बार बार
मेरे जेहन में
उतरा रहा है
तेरी ये आँखें
तेरे ये नन्हें नन्हें हाथ
पकड़ती मुझको
कितनी हँसी किलकारी
हँसा देती थी
बहुत थक कर
जब मैं आता था

बहुत याद आती हो
तुम नैंसी
जब से गई हो
बहुत सता रही हो
कुछ मजबूरियों ने
अलग कर दिया है
मुझसे
तेरी माँ की चालबाजियाँ
कुछ चतुर नुस्खे
ले गई है दूर
तेरे ख्यालों ने
मन को भिगो दिया है
बस लबों पर
तेरी बातें
तेरी यादें
तेरी चंचलता
किलकारियाँ
कुछ दिन के लिये
ठप्प कर दी गईं हैं
तेरे चालबाज मामाओं ने
कूटनीतियों के कारण
हमसे तू जुदा है
ढेर सारी बातें हैं
मिलेंगें सुबह आने पर


जयचन्द प्रजापति कक्कू
जैतापुर,हंडिया,इलाहाबाद
मे. 07880438226


तुम्हारे जाने के बाद.....कवि जयचन्द प्रजापति' कक्कू'

तुम्हारे जाने के बाद
.......................
तुम्हारे जाने के बाद
यह दिन कट नहीं रहा है
रात भर बनी बेचैनीं
सालती यह करवटें
चीर दे रही है
मेरे हृदय को
रह रह कर घूँट पी रहा हूँ
जहर का
जिन्दगी नासूर हो गई है
सोंच लेती
मेरी तड़पती जवानी को एक बार
कितना तड़प रही है
न दिन को चैन
न रात को
पड़ा हूँ
बस जोहता बाट तेरा
नैना पथराई
निहारे पंथ
कब प्रिये
मिलन की बेला होगी 

जयचन्द प्रजापति 'कक्कू'
जैतापुर,हंडिया,इलाहाबाद
मो.07880438226

शुक्रवार, 6 मई 2016

भारत माँ.....कवि जयचन्द प्रजापति 'कक्कू'

भारत माँ
...........
भारत माँ
रहती हो
मेरे अधरो पर
कितनी सुन्दर
कितनी प्यारी
आँखों में रहती हो
प्रेम बसा है
दिल में मेरे
सुबह शाम
नींद न आये
जब तक देखूँ ना
तेरी माटी
तेरी खुशबू
बार बार
मेरे आँगन में आये
रह रह मन में
तेरा आँचल याद आये
तू जननी
हम सब की
सबको राह बताये
जिसकी नियत गंदी
उसका फूट रहा करम
धन्य है तू
भारत माँ


जयचन्द प्रजापति कक्कू
जैतापुर, हंडिया, इलाहाबाद
मो.07880438226

गुरुवार, 5 मई 2016

ऋचा सिंह.....कवि जयचन्द प्रजापति 'कक्कू'

ऋचा सिंह
.............
ऋचा सिंह
बन शेरनी 
लाज रखना
उन गरीब छात्रों का
जो दूर है
अॉनलाईन तकनीकि से
लड़ना जी भर
रखना आन्दोलन
मरते दम तक
वीर हो
वर्तमान में
साहस हो
उन असहाय छात्रों की
न डगमगाये हाथ तुम्हारे
खिला देना
कमल
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में
चले न चालें कोई
ठग न पाये
चालबाजी से
उनके कन्धे का
सम्बल बनना
यही हमारी
बातें हैं
राह रोक न पाये कोई
बन सिंहनी
गरजना तुम
होशियारी से लड़ना
धैर्य न खोना
हिम्मत तुम्हारी
सबकी आशा है
ऋचा हमारी
छात्रों की भाषा है


जयचन्द प्रजापति 'कक्कू'
जैतापुर, हंडिया, इलाहाबाद
मो.07880438226

बुधवार, 4 मई 2016

कवि जयचन्द प्रजापति 'कक्कू' ......दलित कमली

दलित कमली
.................
दलित थी
वह कमली
यौवन गदराया था
भरी जवानी देख
कुछ दबंगों को
खल गई
कर दी हत्या पति की
बना दी गई विधवा
बीत न पाई
पति की तेरहवीं
लूट ली
अस्मिता
समाज के ठेकेदारों द्वारा
करूण दिन था
उसका
टूट गई वह
लगा ली फाँसी
कुछ ने आह भरी
कुछ ने हुंकार भरी
चली गई
दलित कमली

जयचन्द प्रजापति कक्कू
जैतापुर, हंडिया, इलाहाबाद
मो.07880438226

कवि जयचन्द प्रजापति 'कक्कू'... बाँदा का नत्थू

बाँदा का नत्थू
..................
बाँदा का नत्थू
भूख प्यास ने मारा
गरीबी,लाचारी
धिक्कार रही है
अमीरों के शहंशाही को
सरकार हुई
धराशायी
तड़प उठी
नत्थू की आत्मा
कई दिन से भूखा
नहीं था
अनाज घर में
तड़प तड़प कर
बन गया असहाय
दया धर्म निर्लज्ज बनी
भारत देश में
यह घटना
हिला दी
मन को
लूटने वाले लूट रहें हैं
पिट रही छाती गरीब की
धिक्कार!
छिः
वोट वाले
बचा न सके नत्थू को
दलित नत्थू
चला गया
भूख से....

जयचन्द प्रजापति कक्कू
जैतापुर, हंडिया, इलाहाबाद
मो.07880438226

सोमवार, 2 मई 2016

कवि जयचन्द प्रजापति' कक्कू' की कविता........तेरा चेहरा

तेरा चेहरा
.............
तेरा चेहरा
मलिनता से भरा है
सहजता नहीं
पढ़ रहा हूँ तुम्हे
मेरी विवशता है
तुम सोंचती नहीं
जिन्दगी के बारे में
करूणा से भरो
यह ढिठताई
कब तक चलेगी
मौत ले जायेगा
बहा ले जायेगा
तेरा गुरूर
भरो नयापन
नई सोंच
जीने दो
उनको भी
उनका चेहरा
सादगी से भरा है
तुम्हारा चेहरा
दुर्भावनाओं से भरा है


जयचन्द प्रजापति' कक्कू'
जैतापुर, हंडिया, इलाहाबाद
मो.07880438226



कवि जयचन्द प्रजापति, कक्कू' की कविता.......भगवान

भगवान
...........
भगवान तुम
मेरे हृदय को
महान बना दो
पहुँचा दो
उस जगह
जहाँ शान्ति हो
फरेब का नामोनिशां न हो
देखना चाहता हूँ
एक शरीफ स्थान
यहाँ लूट मची है
यहाँ झूठे शब्दों की
जय जयकार है
बड़ा कमीना जग प्रभु!
सहा नहीं जाता
दिखावटी रंगों का रूप
सच्ची जिन्दगी
ताक रहा हूँ
सुनो पुकार मेरी
भगवान
दूर करो व्यथा मेरी



जयचन्द प्रजापति 'कक्कू'
जैतापुर हंडिया, इलाहाबाद
मो./07880438226

रविवार, 1 मई 2016

मजदूर........कवि जयचन्द प्रजापति 'कक्कू' की कविता

मजदूर
.........

तन हाड़ बना
लगा है
बनाने देश
नया पंख दिया
दिया रहनें को छत
सोता खुले में
परपेट नहीं पाता
जी लेता
दो सूखी रोटी खाकर
अधरो पर
दर्द छिपा है
जाने कौन पीर
नयनों को देखो
होंठों को देखो
मटमैले कपड़ों को देखो
भले दुःखी है
लेकिन
खींच रहा है नव रेखा
नवनिर्माण का


जयचन्द प्रजापति' कक्कू'
जैतापुर, हंडिया, इलाहाबाद
मो.07880438226

मजदूर दिवस....जयचन्द प्रजापति' कक्कू' की कविता

मजदूर दिवस

मजदूर दिवस
सभी मनाते हैं
वोट लेने वाले
नहीं सोंचते
उन मजदूरों को
जो बेबस व लाचार हैं
कौन सोंचे उनकी
जिनकी हाथों में
देश का निर्माण है
सोंच रहा है
कौन उसके हित
नव निर्माण करने वाला
ललचाई नजरो से
ताक रहा है
नव नभ को
दूर करो
सच्चे ह्रदयकारों
सुनो व्यथा
इस जन को
कितनी पीड़ा सही है
कितनी मार सही है
मौसम की
रचनाकार है
इस धरा का


जयचन्द प्रजापति 'कक्कू'
जैतापुर, हंडिया, इलाहाबाद
मो. 07880438226