सोमवार, 9 मई 2016

आधुनिक मीरा....कवि जयचन्द प्रजापति' कक्कू'

आधुनिक मीरा
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एक मीरा थी
जो प्रेम के खातिर
छोड़ दिया महल अटारी
वन वन घूमे
बन जोगिनी
नींद नआये दिन रैन
एक आधुनिक मीरा
जान दे रही है
पैसों के लिये
संस्कार हीन
जीवन बना ली है
बेंच दी
अपनी वाणी
ठुकरा दी
प्रेम के दामन को
बसा ली कुप्रवृत्तियों को
जी रही है
बनके आवारा
झूठ फरेब को
थामा है
अपने कोख में
बन गई नागिन
डस रही हो
किसी की मर्यादा को

जयचन्द प्रजापति कक्कू
जैतापुर, हंडिया,इलाहाबाद
मो.07880438226


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