रविवार, 1 मई 2016

मजदूर........कवि जयचन्द प्रजापति 'कक्कू' की कविता

मजदूर
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तन हाड़ बना
लगा है
बनाने देश
नया पंख दिया
दिया रहनें को छत
सोता खुले में
परपेट नहीं पाता
जी लेता
दो सूखी रोटी खाकर
अधरो पर
दर्द छिपा है
जाने कौन पीर
नयनों को देखो
होंठों को देखो
मटमैले कपड़ों को देखो
भले दुःखी है
लेकिन
खींच रहा है नव रेखा
नवनिर्माण का


जयचन्द प्रजापति' कक्कू'
जैतापुर, हंडिया, इलाहाबाद
मो.07880438226

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