बुधवार, 4 मई 2016

कवि जयचन्द प्रजापति 'कक्कू' ......दलित कमली

दलित कमली
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दलित थी
वह कमली
यौवन गदराया था
भरी जवानी देख
कुछ दबंगों को
खल गई
कर दी हत्या पति की
बना दी गई विधवा
बीत न पाई
पति की तेरहवीं
लूट ली
अस्मिता
समाज के ठेकेदारों द्वारा
करूण दिन था
उसका
टूट गई वह
लगा ली फाँसी
कुछ ने आह भरी
कुछ ने हुंकार भरी
चली गई
दलित कमली

जयचन्द प्रजापति कक्कू
जैतापुर, हंडिया, इलाहाबाद
मो.07880438226

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