शनिवार, 7 मई 2016

बेटी नैंसी......कवि जयचन्द प्रजापति 'कक्कू'

बेटी नैंसी
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तेरी याद
बनी है
मेरी यादों में
बेटी नैंसी
तेरी तोतली बातें
तेरा रूठना
बार बार
मेरे जेहन में
उतरा रहा है
तेरी ये आँखें
तेरे ये नन्हें नन्हें हाथ
पकड़ती मुझको
कितनी हँसी किलकारी
हँसा देती थी
बहुत थक कर
जब मैं आता था

बहुत याद आती हो
तुम नैंसी
जब से गई हो
बहुत सता रही हो
कुछ मजबूरियों ने
अलग कर दिया है
मुझसे
तेरी माँ की चालबाजियाँ
कुछ चतुर नुस्खे
ले गई है दूर
तेरे ख्यालों ने
मन को भिगो दिया है
बस लबों पर
तेरी बातें
तेरी यादें
तेरी चंचलता
किलकारियाँ
कुछ दिन के लिये
ठप्प कर दी गईं हैं
तेरे चालबाज मामाओं ने
कूटनीतियों के कारण
हमसे तू जुदा है
ढेर सारी बातें हैं
मिलेंगें सुबह आने पर


जयचन्द प्रजापति कक्कू
जैतापुर,हंडिया,इलाहाबाद
मे. 07880438226


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