शनिवार, 7 मई 2016

विमर्श......कवि जयचन्द प्रजापति 'कक्कू'

विमर्श
.......
विमर्श के अभाव में
जीवन शून्य है
सुंदर जीवन के लिये
विमर्श
जीवन का हिस्सा है
यही सहजता है
यहीं से चालू होता है
नवीनता
हर पल
किसी विषय पर
विचार होना
नई दिशा देने वाला होता है
यही रहस्य है
मानव प्रवृत्ति का
कमजोर वर्गों पर
विमर्श
नई चेतना से जोड़ता है
नई आशा
नई किरणें
नये संसार का निर्माण करती है


जयचन्द प्रजापति कक्कू
जैतापुर,हंडिया,इलाहाबाद
मो.07880438226

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