मंगलवार, 10 मई 2016

स्त्री....कवि जयचन्द प्रजापति कक्कू

स्त्री
....
स्त्री
लड़ती है
समाज से
जब बोलती
सच्चाई
समाज के लोग
दबाना चाहते हैं
उसकी आवाज को
फिर भी
चट्टान की तरह
खड़ी है
डटी है
हर मोर्चा
संभालने के लिये
वह स्त्री
धन्य है

जयचन्द प्रजापति कक्कू
जैतापुर, हंडिया, इलाहाबाद

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