शनिवार, 14 मई 2016

मेरा ख्वाब....कवि जयचन्द प्रजापति' कक्कू'

मेरा ख्वाब
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मेरा ख्वाब
तुम हो
तेरे बिन
अधूरा हूँ
तेरी अदा
तेरी चितवन
तेरी खूबसूरती ने
सोने नहीं दिया
दिवास्वप्न में
तेरी ही परछाईं
नजर आती रही
हर पल
तेरा रूप
तेरी अँगड़ाई
बेचैन करती रही
घूमता रहा
अपना ख्वाब लिये
कई सालों से
तुम्हे पाने के लिये
उम्र बिता दी
तेरे लिये
हर रस्मे तोड़ दी
छोड़ दिया
जमाने की रौनक
बस बढ़ता रहा
तेरी याद में
सचमुच
तू मेरी ख्वाब हो

जयचन्द प्रजापति कक्कू इलाहाबाद

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