रविवार, 8 मई 2016

जिनकी माँ नहीं होतीं हैं...कवि जयचन्द प्रजापति 'कक्कू'

जिनकी माँ नहीं होतीं हैं
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माँ की परिभाषा
पूछना है
पूछ लो उनसे
जिनकी माँ नहीं होतीं हैं
जीते हैं 
बिन आँचल के
रोते हैं
बिन माँ के हाथ पकड़ कर
जीते हैं
बिन ममता के छाँव में
रात दिन बितता है
एक कसक रह जाती है
नहीं खिलखिलाता है
उनका हृदय
बस टकटकी लगाये
निहारता मन
बार बार
सूनी पगडंडी की ओर
कोसते हैं
जिन्दगी की कहानी को
न देने वाला कोई थपकिया
कौन लोरी सुनाये
भीगा सा मन
किसी कोने में
माँ का पता ढूँढ रही है


जयचन्द प्रजापति कक्कू
जैतापुर,हंडिया,इलाहाबाद
मो.07880438226

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