संगम
मंगलवार, 16 अप्रैल 2024
प्राइवेट स्कूल का दलदल...................भालचंद अपने बेटे को अच्छी तालीम देना चाहते हैँ इसलिये मन में ख्याल आया कि प्राइवेट इंग्लिश माध्यम स्कूल में एडमिशन का प्लान बनाया. वह शहर के एक स्कूल में जानकारी लेने के लिए पहुँच गया. आलिशान भवन देखकर खुश हुआ कि मेरे बेटे को अच्छी शिक्षा यहाँ पर मिल जाएगी। जैसे ही गेट पर पहुंचा सिक्योरिटी ने आदर सत्कार से कुशल क्षेम पूछा और सम्मान के साथ प्रिंसिपल के ऑफिस तक ले गया। प्रिंसिपल साहब अपनी सीट से उठकर भालचंद का स्वागत कर कुर्सी पर बैठने के लिए कहा।'सर मै अपने बेटे का एडमिशन लेने के लिए आया हूँ।' भालचंद ने प्रिंसिपल से कहा। ’बिल्कुल सर स्वागत है। आपके बेटे का एडमिशन हो जायेगा. खाना, पीना, रहना, लंच, कॉपी,किताब, पेन, ड्रेस आदि सारा चीज हमारा स्कूल देगा। आपको फ्री कर दिया जायेगा। इस बच्चे कि सारी जिम्मेदारी हमारे विद्यालय परिवार की होंगी।’--प्रिंसिपल ने कहा।'तब तो बहुत बढ़िया स्कूल है’ --भालचंद के चेहरे पर मुश्कान फ़ैल गई। 'खर्चा पांच लाख आएगा सालाना।'--प्रिंसिपल साहब ने कहा। पांच लाख सुनते ही भालचंद को लाल पीला दिखने लगा। पांच लाख सालाना... बड़बड़ाते हुए प्रिंसिपल साहब से कहा"बाहर निकलने का रास्ता बताइये सर"प्रिंसिपल साहब मन ही मन कहने लगे बेटा प्राइवेट स्कूल के दलदल में जो फंसता है किसी दरवाजे से नहीं निकल सकता है। भालचंद बड़ी तेजी से उठे एक दरवाजे की तरफ गए वह दरवाजा बंद मिला इस तरह से कई दरवाजे पर गए मगर वो दरवाजे सब बंद मिले। जब बिना एड्मिशन कराये मै इस प्राइवेट स्कूल से नहीं निकल पा रहा हूं अगर मै अपने बेटे का एड्मिशन इस प्राइवेट विद्यालय स्कूल में करा दूंगा तो जिंदगी भर इस दलदल से नहीं निकल पाउँगा। प्राइवेट इंग्लिश मीडियम स्कूल को किराने की दुकान बना लिए है। हर चीज देंगे। ये बच्चे ज़बरदस्ती खरीददार होंगे और अभिभावक इनके चंगुल के दलदल से दम तोड़ देगा। भालचंद इस तरह से प्राइवेट विद्यालय के हथकंडे को समझ गया और बुझे मन से बाहर निकलने के लिए सिक्योरिटी से बाहर करने का निवेदन करने लगा। .... जयचन्द प्रजापति ’जय’ प्रयागराज
रविवार, 1 जनवरी 2017
नव वर्ष. कवि जयचन्द प्रजापति कक्कू'
नववर्ष
नववर्ष
आया है
नया दिन लाया है
मन भाया है
कितना प्यारा
कितना सुंदर
कितना नया है
यह नववर्ष
सचमुच मन को
भा गया
यह नया दिन
नववर्ष का
कवि जयचन्द प्रजापति कक्कू' हंडिया
इलाहाबाद
नववर्ष
आया है
नया दिन लाया है
मन भाया है
कितना प्यारा
कितना सुंदर
कितना नया है
यह नववर्ष
सचमुच मन को
भा गया
यह नया दिन
नववर्ष का
कवि जयचन्द प्रजापति कक्कू' हंडिया
इलाहाबाद
शनिवार, 29 अक्तूबर 2016
जयचन्द प्रजापति'कक्कू'की कविता
दीपावली
...........
दीपावली
जब आती है
नवरंगों में
दीप सजाती है
मन में भरती उजियारा
नये सुर में
नव सुर देती
खुशी मनाओ
मिट्टी के दीपक से
यही हमारी इच्छा है
कवि जयचन्द प्रजापति
जैतापुर,हंडिया,इलाहाबाद
...........
दीपावली
जब आती है
नवरंगों में
दीप सजाती है
मन में भरती उजियारा
नये सुर में
नव सुर देती
खुशी मनाओ
मिट्टी के दीपक से
यही हमारी इच्छा है
कवि जयचन्द प्रजापति
जैतापुर,हंडिया,इलाहाबाद
सोमवार, 15 अगस्त 2016
मेरी बिटिया का जन्म दिन...कवि जयचन्द प्रजापति
मेरी बिटिया का जन्म
तेरह अगस्त
दो हजार तेरह को हुआ
सुंदर मुखमंडल
सुंदर नयन
मन को भाते
हो गई है
तीन साल की
करती तोतली बातें
नव भाव लिये
नव आशा के साथ
मुश्काती
कितनी भोली
कितनी मधुर
नैंसी नाम है
माता का नाम
मीरा प्रजापति है
बाप का नाम
जयचन्द प्रजापति
जैतापुर गांव के हंडिया तहसील में
इलाहाबाद में
जन्म हुआ
मेरे जीवन की आशा
सचमुच बिटिया
होती है सबकी प्यारी
कवि जयचन्द प्रजापति 'कक्कू'
तेरह अगस्त
दो हजार तेरह को हुआ
सुंदर मुखमंडल
सुंदर नयन
मन को भाते
हो गई है
तीन साल की
करती तोतली बातें
नव भाव लिये
नव आशा के साथ
मुश्काती
कितनी भोली
कितनी मधुर
नैंसी नाम है
माता का नाम
मीरा प्रजापति है
बाप का नाम
जयचन्द प्रजापति
जैतापुर गांव के हंडिया तहसील में
इलाहाबाद में
जन्म हुआ
मेरे जीवन की आशा
सचमुच बिटिया
होती है सबकी प्यारी
कवि जयचन्द प्रजापति 'कक्कू'
मेरा देश.....कवि जयचन्द प्रजापति' कक्कू'
मेरा देश
..........
मेरा देश
कितना प्यारा
कितना सुंदर
मन को भाता है
यहाँ की हरियाली
सुंदर बाग बगीचे
रंगों से सजा
सुंदर देश हमारा
बिसरता नहीं यह देश
यहां की माटी
यहां का रूप रंग
नव स्वर गीत यहां का
ऐसा देश हमारा
कवि जयचन्द प्रजापति
जैतापुर,हंडिया,इलाहाबाद
..........
मेरा देश
कितना प्यारा
कितना सुंदर
मन को भाता है
यहाँ की हरियाली
सुंदर बाग बगीचे
रंगों से सजा
सुंदर देश हमारा
बिसरता नहीं यह देश
यहां की माटी
यहां का रूप रंग
नव स्वर गीत यहां का
ऐसा देश हमारा
कवि जयचन्द प्रजापति
जैतापुर,हंडिया,इलाहाबाद
रविवार, 7 अगस्त 2016
हमारे लोग....कवि जयचन्द प्रजापति
हमारे लोग
.............
हमारे लोग
जो खाते थे
एक साथ
एक साथ
सुबह शाम होता था
वे अब
कहीं किसी और के साथ
सुखद पल जी रहे हैं
हमें पुराना दोश्त कह कर
नये रिश्ते
अब खोज रहे हैं
हमारे लोग
कहीं और जा रहे हैं
वहीं छोड़कर
कवि जयचन्द प्रजापति
जैतापुर,हंडिया,इलाहाबाद
.............
हमारे लोग
जो खाते थे
एक साथ
एक साथ
सुबह शाम होता था
वे अब
कहीं किसी और के साथ
सुखद पल जी रहे हैं
हमें पुराना दोश्त कह कर
नये रिश्ते
अब खोज रहे हैं
हमारे लोग
कहीं और जा रहे हैं
वहीं छोड़कर
कवि जयचन्द प्रजापति
जैतापुर,हंडिया,इलाहाबाद
सदस्यता लें
संदेश (Atom)