बुधवार, 1 जून 2016

हंडिया....कवि जयचन्द प्रजापति' कक्कू'

हंडिया
.........
हंडिया 
मेरे दिलों में
बसा है
यहीं पढ़ा
यहीं मेरी कर्मस्थली
यहीं
सारा जीवन का रंग
जीता हूँ
यहाँ के लोगों के साथ
बस प्रेम से
नई कहानी
बना रहा हूँ

हंडिया में
मेरी हसरत है
नाम करूँ
हंडिया का
विश्व विख्यात
बनाना चाहता हूँ
रगों में बसा है
हंडिया

बार बार घूमता है
हंडिया का दर्द
नहीं मिला
सच्चा साथी
रंग देना चाहता हूँ
हंडिया को
नये भाव से
नमन 
ऐ हंडिया!


जयचन्द प्रजापति कक्कू
जैतापुर,हंडिया,इलाहाबाद

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