सोमवार, 13 जून 2016

जमाने की हवा....कवि जयचन्द प्रजापति' कक्कू'

जमाने की हवा
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जमाने की हवा
कुछ इस कदर चली
हम भूल गये
अपनी माटी
और माँ का आँचल
भूल गये
बचपन के यारों को
भूल गये
ताल तलैया
बाप के प्यार को भी
कर न सके जतन
अपने आबरू की
रह गये खाली
खाके
जमाने की हवा

जयचन्द प्रजापति' कक्कू'
जैतापुर,हंडिया, इलाहाबाद

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