शनिवार, 4 जून 2016

मथुरा कांड......कवि जयचन्द प्रजापति' कक्कू'

मथुरा कांड
..............
थोड़ी चालाकी
लालच
जर्बदस्ती
कई की जान चली गई
मथुरा में
अनचाहा हो गया
ऐसा वीभत्स रूप

किया नंगा
कार्य
हाहाकार मचा है

क्या मिला
सब यहीं रह गया
नरसंहार हुआ

गई जानें कई
जीवन होगा दुःखदायी
बचे लोगों का


शान्ति पूर्ण
घरों में बैठे होते
विचार किये होते
ढूँढते कुछ नया
नहीं ऐसा होता
कायराना हरकत

लेकिन कौन सुने
सबकी अपनी लगी है
नई नई होड़ लगी है
ले लेने की दौड़ लगी है
सब हो गया तहस नहस

जयचन्द प्रजापति कक्कू
इलाहाबाद



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