शनिवार, 4 जून 2016

पहली सेलरी............कवि जयचन्द प्रजापति' कक्कू'

पहली सेलरी
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पहली सेलरी
पहली सबसे बड़ी खुशी
कोई माँ को देता है
कोई बाप को
कोई उड़ाता है
दोश्तों के साथ

कोई इतना खुश
भूल जाता है
जहाँ बिताया
सारा  पल
भूल उन्हें भी जाता है
जिन्होनें मदद की थी
जब भूख प्यास से तड़पा था

वह संवेदनशील युवक
पाते ही पहली सेलरी
जाता है
किसी होटल में
पंद्रह गरीब बच्चों के साथ
खूब जी भर
खाता खिलाता है
आनंद रस की अनुभूति किया


जयचन्द प्रजापति कक्कू
जैतापुर, हंडिया, इलाहाबाद




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