रविवार, 20 मार्च 2016

जयचन्द प्रजापति का जीवन

सच्चा जीवन

दोश्तों,मैं सच्चे जीवन को आत्मसात करता हूँ
मेरी भावनायें सरल व सादगी की प्रतिबिम्ब है,
गलत कार्यों में मेरी कोई रूचि नहीं है.सदैव गरीबों,
पीड़ितों,दुःखियारों के प्रति मेरी संवेदना रहती है.
सादा मेरा भोजन है,सादे कपड़ें में भरोसा करता हूँ
मैं कभी कभी सोंचता हूँ कि यह समाज कब समान
होगा.शायद समान होना मुश्किल है.

समान भावनायें जब तक नहीं आयेगी तब तक
कल्पना नहीं की जा सकती है कि समाज में समानता
आयेगी परन्तु मेरी कोशिश चालू है और समानता लानें
के लिये मैं तत्पर भी हूँ.लालच घूसखोरी जहाँ रहेगी
वहाँ समानता की भावना का पनपना मुश्किल है.

मैं उदार हृदय वालों की प्रशंसा करता हूँ और ऐसे
उदार हृदय से अनुरोध करूँगा कि वे समानता को
लानें में अपना जीवन समर्पित करें.करूणा को जगाना
मेरा कर्तव्य बनता है.करूण हृदय कभी धोखा नहीं
 खाता है.वह आगे बढ़ता है.यह भाव लेकर मैं अनवरत 
अपनें को कर्मशील बना रखा हूँ.

सच में अगर हर व्यक्ति यह सोंच ले तो समाज की तरक्की
स्वमेव  हो जायेगी और विकास व समानता का प्रतिबिम्ब
नजर आनें लगेगा और समाज में उदारता का अागमन
हो जायेगा .मेरी सोंच के मुताबिक एक सच्चा जीवन
की कल्पना साकार हो जायेगा.

                                       जयचन्द प्रजापति

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें