रविवार, 20 मार्च 2016

कवि कैसे बनें

कवि बनने की भावना अगर आप में आ रहा है तो कवि आसानी से बना जा सकता है.इसके लिये कोमल हृदय का वास होना चाहिये.कोमल हृदय के अभाव में कविता का गुण आना मुश्किल है.सुन्दर विचारों की भी कल्पना होनी चाहिये.कल्पनाओं का भी अभाव नहीं होना चाहिये.इसके साथ ही उदार भावनायें सदैव तत्पर रहे तो ऐसी दशा में कवि बनने के रास्ते कुछ आसान हो जाते हैं.समाज में गलत सिध्दांतों का घोर विरोधी वाला रखना पड़ेगा. साधारण जनों से प्रिय रहना होगा.नारी स्नेह में कोई दुर्भावना नहीं होनीं चाहिये बाल स्नेह कूट कूट कर भरी होनी चाहिये फिर देखिये कविता अंकुर निकलना प्रारम्भ हो जायेगा. स्वार्थ तत्वों के खिलाफ आवाज निकालना एक सुन्दर हृदय को बनानें में सहायक हो सकता है.स्वार्थरहित प्रेम एक प्रेरक का काम करता है.विश्वास की धारा बहाना कवि बनने में सोनें में सुहागा कर सकता है.मधुर मुश्कान तो रस मलाई है.सादा जीवन तो गले पड़ी रहना चाहिये.दया से ओत प्रोत होकर काव्य जगत में आसानी से कवि का मुकाम पाया जा सकता है.भूखें भी रहना चाहिये.दीन हीन होकर सहज प्रवृत्ति को प्राप्त की जा सकती है. रहन सहन सादा कर लीजिये.धोखेवाजी का आलिंगन मात्र से बचें.यह अवगुण का कारक साबित हो सकता है.धन सम्पदा का मोह नही होना चाहिये.मोहपाश में रहनें वाला व्यक्ति कवि के सपनें को त्याग करना पड़ेगां.ऐसी स्थिति में कवि के लिये संघर्ष करना तारे तोड़ने के बराबर है.मैं कवि बनने का आसान और सहज नुस्खा बता रहा हूँ. तुलसीदास ऐसे कवि नहीं बन गये थे.त्याग गुण अनिवार्य गुण होना चाहिये.उन्हें तो कवि के लिये धर्मपत्नी का परित्याग करना पड़ा.यह भी कवि का एक महान गुण रखना पड़ेगा. जब विरह की वेदना बलवती होगी तो सहज कविता का रंग गाढ़ा हो जाता है तब वह कवि के लिये एक परिपक्व कविता उबाल मारनें लगती है.ऐसी स्थिति में प्रत्येक रस की उत्तपत्ति बड़ी तेजी से होनें लगती है. कवि की भावना बनाना बहुत आसान भी है, कठिन भी.लगना पड़ेगा.अगर आप वास्तव में महान कवि की कल्पना सँजोयें है तो ऊपर के सिध्दांतों का अनुशरण करना ही पड़ेगा. जयचन्द प्रजापति मो.07880438226 ई मेल.Jaychand4455@gmail.com

1 टिप्पणी: