मंगलवार, 29 मार्च 2016

जयचन्द प्रजापति के गजल

मेरे जनाजे पर...

मेरे जनाजे पे  खुश होकर चले आना सनम
बेवफा ही कहकर मुझे सहारा दे जाना सनम.

मै तो चला यूँ ही, मुश्कराते रहना प्यारे सनम
खिलखिलाना नजरों को खुश रखना सनम.

मेरा बचा ही क्या है इस जनाजें के सिवा सनम
किसी और के घर जाके मौज मनाना सनम.

तुम्हारे आने से कीमत बढ़ जायेगी प्यारे सनम
मेरे दिल पर लगा जख्म भर जायेगा न्यारे सनम.

गैर ही समझना मेरे मौन नजरों की शराफत को
थोड़ा सा निगाहें मिला लेना मेरे जिगरी सनम.





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