शनिवार, 26 मार्च 2016

जयचन्द प्रजापति की हाइकु कवितायें

(1)

सज के आना
रात के हम दोश्त
बन करके

(2)

मोहब्बत में
जान देने को राजी
कब से हुई

 (3)

यह चाँदनी
हमसफर बनी
मुश्कराकर

(4)

कब से आयी
खड़ी हो तुम वहाँ
कौन है दोश्त

(5)

वह सोंच के
कुछ देर तक से
इंतजार की



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