बुधवार, 30 मार्च 2016

कवि जयचन्द प्रजापति का जीवन परिचय

कविता के लेखन में उल्लेखनीय योगदान देने वाले कवि जयचन्द प्रजापति का जन्म 
इलाहाबाद जनपद के  हंडिया तहसील के एक छोटे से गाँव जैतापुर में एक गरीब
परिवार में श्री मोतीलाल प्रजापति के घर पर 15 जुलाई 1984 को हुआ था. पिताजी की
मृत्यु  बचपन में हो गई जब ये लगभग पाँच साल के थे. पिता के मृत्यु बाद सारा घर का
भार माता शान्ती देवी के ऊपर आ गया.सामाजिक विद्रुपताओं से लड़ते हुये इनकी
माँ ने स्नातक तक पढ़ाया.इनकी इकलौती बहन  कुसुम का भी पूरा पूरा सहयोग रहा.
बाद में पत्रकारिता से पीजी डिप्लोमा किया.गाँव में एक प्रतिष्ठित विद्यालय NICमें अध्यापन 
कार्य करते हुये जीवन यापन कर रहें हैं. इनकी शादी मीरा प्रजापति के साथ हुई .इनकी
इकलौती लड़की नैंसी है जिसकी उम्र लगभग तीन साल है.
       बचपन इनका कठिनाइयों से बीता .गरीबी को झेला इनकी कविताओं में गरीबों ,
मजदूरों ,शोषितों के प्रति अपनी कविता में एक नया स्वर दे रहें हैं.कविताओं में सच्ची सच्चाई
 की भावना झलकती है. कहीं प्रेम का आलिंगन है तो कहीं विरह की वेदना हैं तो कहीं 
समाज में स्थित विद्रुपताओं के खिलाफ आवाज दे रहें हैं.इनकी कविताओं में यथार्थ हैं .
सच्चा जीवन का भाव आसानी से झलकता है.सरलता,सौम्मयता,गांभीर्य भावनाओं से
ओत प्रोत कविताओं में नया रूप दिये हैं.प्रकृति के सौंन्दर्य की विशालता को समावेश
 किया है. इनकी कविताओं में हास्य व ब्यंग का स्वर फूटा है.मानवीय संवेदनाओं को
उकेरा है.
          सरल व सादगी भरा जीवन जीने वाले कवि की भावना भी सरल व सीधी है.
ईमानदारी ही इनका प्रमुख गुण है,उदार हृदय तो इनकी भावनाओं व नसोँ में दौड़ता 
रहता है इसी कारण समाज में जो विषमता है वो समानमूलक समाज की स्थापना में
विश्वास करतें है.गरीबों के प्रति जो लोंगों की सोंच है वे बदलाव चाहते हैं.वे कहतें हैं
बिना मानवीय मूल्य व  मानवीय समानता की भावना  के एक अच्छे समाज की
कल्पना नहीं की जा सकती है.
         इनकी कविताओं में स्त्री विमर्श व दलित चेतना का भाव भी प्रस्फुटित हुआ है.
दलितों के उत्थान के लिये इनकी कवितायें संघर्ष कर रहीं हैं.यह इनकी दलित सोंच 
भी एक नई दिशा दलितों को दे रहा है.स्त्रियों पर हो रहे अत्याचार से इनका मन त्रस्त
है.इनकी कवितायें स्त्री स्वर को एक नई व सकारात्मक दिशा प्रदान कर रही हैं.इनकी
कविताओं में बचपन में  बच्चों के साथ हो रहे अनेक अत्याचारों से उनके जीवन में
होने वाले परिवर्तन को भी स्वीकार कर कविताओं के माध्यम से सजीवता भरनें की 
पूरी कोशिश कर रहें हैं.
       आजकल अधिकतर समय कविता के लेखन में दे रहें हैं.कई पत्रिकाओं मे इनकी
कवितायें छप रहीं हैं.इन्होनें एक ब्लॉग की शुरुआत की है. इनके ब्लॉग का नाम है.
kavitapraja.blogspot.com .जहाँ इनकी कविता को पढ़ा जा सकता है.


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें