सोमवार, 25 अप्रैल 2016

कवि जयचन्द प्रजापति' कक्कूजी'......मेरी पत्नी

मेरी पत्नी

मेरी पत्नी झूठी
कहानी गढ़ लेती है
वह पाठ कर सकती है
किसी रंगमंच पर
बहुत अच्छा अभिनय
सच्चा हृदय रो देगा
कितना महान
सादगी का प्रतिबिम्ब
करूणा का
बनावटी स्वरूप
हिला देगी
अंदर की ताकत को
पर
करीब से समझना
सब के लिये नहीं है
उसके अंर्तमन को
मै स्वाद लेता है
कह नहीं सकता हूँ कुछ
कहता हूँ
डंडे बरसते है
उसकी महिमा को
ईश्वर को शोध करना पड़ेगा
रहस्य क्या है


जयचन्द प्रजापति कक्कूजी
जैतापुर, हंडिया, इलाहाबाद
मो.07880438226




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