बुधवार, 6 अप्रैल 2016

कवि जयचन्द प्रजापति 'कक्कू जी' की कविता

फूल
......
फूल तेरी महक
मुझे झूमने को कहते हैं
बहाती हो मदहोशी
इस चमन में
रंग भरती हो
मदहोश होंठों पर
मुश्कान तुम्हारी
नजरों को पुकारे
बह जाओ
इस पुरवाई में
सुगन्ध फैलाओ
इस वतन में
ये फूल
माला बन जाओ
वीरों के गले का



जयचन्द प्रजापति 'कक्कू जी'
जैतापुर, हंडिया, इलाहाबाद

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