बुधवार, 27 अप्रैल 2016

महादेवी वर्मा.......कवि जयचन्द प्रजापति' कक्कूजी'

महादेवी वर्मा


हिन्दी जागी
महादेवी के कर कमलों से
निकला गीत
नई प्रातः की
हुई धन्य हिन्दी
बनी कविता की जननी
लिखी मन की पीड़ा
दर्द सही
जीवन की
कही कहानी भारत की
कितना निर्मल मन
सेवा साधना से
साहित्य हुआ
धन्य
गा रहा है
गीत अमर महादेवी की
रचना भई स्वर्ण
कितनी सौम्य
कितना पवित हृदय
जीवन त्याग दिया
अमर किया साहित्य


जयचन्द प्रजापति 'कक्कूजी'
जैतापुर, हंडिया, इलाहाबाद
मो़.07880438226


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