रविवार, 3 अप्रैल 2016

कवि जयचन्द प्रजापति की कविता...यह धरती

यह धरती
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यह धरती कितनी प्यारी
बोझ सहती है
हमारे कुकर्मों की
सहनशीलता
कितना मधुमय है
सहती है दर्द कितना
हम बच्चों के लिये
धरती माँ
कितनी धैर्यशाली है
नहीं रोती है
कितनी करूण है
सहने की पाठ पढ़ाती है

            जयचन्द प्रजापति



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