संगम
सोमवार, 4 अप्रैल 2016
कविताप्रजा..कवि जयचन्द प्रजापति की कविता
मेरा हाथ
मेरा हाथ
मेरा साथ देता है
जीवन भर मेरे लिये
वह संघर्ष करता है
पैरवी करता है
दुःख की घड़ी में नहीं छोड़ता है
सच्चे दोश्त की तरह
मेरे सपने में
पूरा सहयोग करता है
मेरे अंत समय तक
खड़ा रहता है
किले की तरह
जयचन्द प्रजापति
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