यह हवा
..........
यह हवा बहे
नित नये सुर में
हिचकोले भरे मन में
लहर मारे बीच धारे में
ले अंगड़ाई
देख सरसों के फूलों को
बहाये रस धार प्रेम का
पत्ता पत्ता गाये गीत तेरे
कहे छू लो मेरे होठों को
कहती गाथा
सदियों की
रंग भरे उजाला
पगडंडियों में.
जयचन्द प्रजापति 'कक्कू जी'
जैतापुर,हंडिया, इलाहाबाद
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यह हवा बहे
नित नये सुर में
हिचकोले भरे मन में
लहर मारे बीच धारे में
ले अंगड़ाई
देख सरसों के फूलों को
बहाये रस धार प्रेम का
पत्ता पत्ता गाये गीत तेरे
कहे छू लो मेरे होठों को
कहती गाथा
सदियों की
रंग भरे उजाला
पगडंडियों में.
जयचन्द प्रजापति 'कक्कू जी'
जैतापुर,हंडिया, इलाहाबाद
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