इलाहाबाद
...............
इलाहाबाद एक शहर
कवियों का शहर
साहित्य की पहली फूटी कविता
कवि के लिये
बसा है इलाहाबाद
दर्द,पीड़ा व कराह
साहित्य का
यहीं है बसेरा
जीने की पहली पसन्द
अध्यात्म का संगम
कविता रचने वाले
देखो व डूबो
इलाहाबाद की तहजीब में
पी लो रस साहित्य का
जो नहीं देखा इलाहाबाद
वह असली कवि नहीं है.
जयचन्द प्रजापति
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इलाहाबाद एक शहर
कवियों का शहर
साहित्य की पहली फूटी कविता
कवि के लिये
बसा है इलाहाबाद
दर्द,पीड़ा व कराह
साहित्य का
यहीं है बसेरा
जीने की पहली पसन्द
अध्यात्म का संगम
कविता रचने वाले
देखो व डूबो
इलाहाबाद की तहजीब में
पी लो रस साहित्य का
जो नहीं देखा इलाहाबाद
वह असली कवि नहीं है.
जयचन्द प्रजापति
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