मंगलवार, 19 अप्रैल 2016

जयचन्द प्रजापति 'कक्कूजी' के नवगीत...प्रेम का भाव है

प्रेम का भाव है
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मेरे रग में
देश की धार है
प्रेम का भाव है.

कई सालों से
खड़ा हूँ देश के लिये
रूप रंग लिये हुये
झंडा थामे हुये
हाथ में मिट्टी लिये हुये
नया मशाल जलाते हुये

चलते हुये
भीड़ में भी
प्रेम का घाव है.

उठा हूँ
अकेले ही
लड़ा हूँ दुश्मनों से
प्रेम का सौगात लिये
मंजिल पर डटा हूँ
किसी से कम नहीं हूँ

कहता हूँ
सहज लेता हूँ
जीत का भाव है

आखिरी साँस तक
कठोर राह तक
धर्म के मिशाल तक
दीन हीन के घर तक
बहता हुआ रस हूँ मैं
हर हाल तक लगा हूँ

यही मिशाल
यही सोंच के साथ
हमारा दाँव हैं.


जयचन्द प्रजापति ' कक्कूजी'
जैतापुर, हंडिया, इलाहाबाद
मो.07880438226


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