मंगलवार, 26 अप्रैल 2016

जयचन्द प्रजापति' कक्कूजी' की कविता.... गरीब

गरीब
.......

गरीब को
लोग समझते हैं
अविश्वासी
दुत्कारते हैं लोग
बेबस करते हैं
यातना देने के लिये
षडयन्त्र रचते हैं
काम लेते हैं
बदल जाते हैं
वक्त के आने पर
लेकिन वह
जीता है दीन ईमान पर
सच्चाई को
दफन नहीं करता है
लड़ता है
अस्तित्व बचानें के लिये
मर जाता है
शान से
उठती है डोली
शान से
यही उसका जीवन

जयचन्द प्रजापति कक्कू जी
जैतापुर, हंडिया, इलाहाबाद
मोे.07880438226

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