इलाहाबाद के निराला
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इलाहाबाद के निराला
सब जन की आवाज थे
उनकी कविता लड़ी
असहायों के लिये
कलम रूकी नहीं
फौलाद की तरह
गरीबों के कवच थे
भीतर तक झकझोरा
उन गद्दारों को
जिसने निराला को भी अपमानित किया
दुःखों को झेला
आर्थिक हालातों से जुझते हुये
स्वाभिमान को गिरने नहीं दिया
लिखा यहीं पर
वह तोड़ती पत्थर
यहीं से आवाज निकली कवि की
दीन हीनों की व्यथा की
पाखण्डियों को भी ललकारा
अनवरत लिखे
बिना रूके हुये
उनकी आवाज बनते गये
ऐसे थे निराला
जयचन्द प्रजापति
जैतापुर, हंडिया, इलाहाबाद
07880438226
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इलाहाबाद के निराला
सब जन की आवाज थे
उनकी कविता लड़ी
असहायों के लिये
कलम रूकी नहीं
फौलाद की तरह
गरीबों के कवच थे
भीतर तक झकझोरा
उन गद्दारों को
जिसने निराला को भी अपमानित किया
दुःखों को झेला
आर्थिक हालातों से जुझते हुये
स्वाभिमान को गिरने नहीं दिया
लिखा यहीं पर
वह तोड़ती पत्थर
यहीं से आवाज निकली कवि की
दीन हीनों की व्यथा की
पाखण्डियों को भी ललकारा
अनवरत लिखे
बिना रूके हुये
उनकी आवाज बनते गये
ऐसे थे निराला
जयचन्द प्रजापति
जैतापुर, हंडिया, इलाहाबाद
07880438226
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