मेरा भी कुछ अहमियत है इस जमाने में दोश्तों
मै बिगड़ा भले हूँ इस शहर में मेरे प्यारे दोश्तों
कभी सोंचता हूँ इस जमाने में इतनी बेरूखी क्यों
लोग एक दूसरे का गला घोंटते हैं इस जमानें में क्यों
इंसानियत के गुम होनें का क्या कारण है
गंदे कामों के लिये जान देना अकारण है
शहर में वे जाकर चुपके से बस गयें हैं
गाँव में भी खलेआम हो गयी है हैवानियत
गिरे को कौन उठाने आता है इस जमानें में
गिरे हुये से पहले वे गिरे होतें हैं इस जमानें में
जयचन्द प्रजापति
मै बिगड़ा भले हूँ इस शहर में मेरे प्यारे दोश्तों
कभी सोंचता हूँ इस जमाने में इतनी बेरूखी क्यों
लोग एक दूसरे का गला घोंटते हैं इस जमानें में क्यों
इंसानियत के गुम होनें का क्या कारण है
गंदे कामों के लिये जान देना अकारण है
शहर में वे जाकर चुपके से बस गयें हैं
गाँव में भी खलेआम हो गयी है हैवानियत
गिरे को कौन उठाने आता है इस जमानें में
गिरे हुये से पहले वे गिरे होतें हैं इस जमानें में
जयचन्द प्रजापति
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