शराब
........
कुछ बिगड़े लोगों की
धुन होती है शराब
पीना उनकी सोहरत है
मजे से जाते हैं मधुशाला
लेते है शराब का शबाब
पीटते हैं निर्दोष बीबी बच्चों को
बेचते हैं अस्मिता
शराब की खातिर
वे समझते हैं बादशाह
जिगर को गँवा के लौटते हैं
जमाने को जीतने की चाहत
नशें में शराफत लिये
घूमते हैं
पूरे समय सड़क पर
बदनसीब औरतों व बच्चों को
लीलती यह शराब
एक दिन सबकुछ बेंचकर
लौटता है शाम को
हाथ में खाली बोतल लिये
जयचन्द प्रजापति
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कुछ बिगड़े लोगों की
धुन होती है शराब
पीना उनकी सोहरत है
मजे से जाते हैं मधुशाला
लेते है शराब का शबाब
पीटते हैं निर्दोष बीबी बच्चों को
बेचते हैं अस्मिता
शराब की खातिर
वे समझते हैं बादशाह
जिगर को गँवा के लौटते हैं
जमाने को जीतने की चाहत
नशें में शराफत लिये
घूमते हैं
पूरे समय सड़क पर
बदनसीब औरतों व बच्चों को
लीलती यह शराब
एक दिन सबकुछ बेंचकर
लौटता है शाम को
हाथ में खाली बोतल लिये
जयचन्द प्रजापति
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