यह चींटी
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यह चींटी
बनाती है मेहनत से टीला
कड़ा परिश्रम करके
इमारत खड़ी करती है
रूके न थके
चलती जाये पथ पर
रोज रोज मेहनत से
नहीं होती बीमार
कितनी सीधी होती है
निर्मल मन से
रचना करती है
नये घरौधें का
सपने सच करती है
यह नन्ही चींटी
सबक सिखाती है
आलसी तन वालों को
जयचन्द प्रजापति
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