शनिवार, 30 अप्रैल 2016

जयचन्द प्रजापति 'कक्कू' की कविता

मेरा प्यार
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मेरा प्यार
दूर तक
सोंचता है
तुम चाहे जहाँ हो
प्यार मेरा रहेगा
सहजता लिये
भरी आशा के साथ
मैं खड़ा हूँ
तेरे रगों में
मेरी विवशता देखो
समझो
आखिर
मेरे प्यार में
तुम हो
शायद मेरे मरने पर
तुम ही होगी
सिंहासन
मेरे प्यार की
मैं तो बस हवा हूँ
तू ही मेरी आंगन हो
मेरी छवि हो

जयचन्द प्रजापति कक्कू
जैतापुर, हंडिया, इलाहाबाद
मो.07880438226

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