वे जिन्दगी भर हमें समझाते रहे
पता नहीं क्या खुद को समझते रहे
किसी की बात कभी नहीं सुना
अपनी ही बात जिन्दगी भर मनवाते रहे
वे प्यारे रात भर गलत सोंचते रहे
जिन्दगी की जंग कभी न जीतते रहे
यहाँ वहाँ गलत चक्कर लगाते रहे
बीच बाजार में वे पिटते रहे
गंदगी में रहने वाले गंदगी करते रहे
सारे जहाँ में वे कीचड़ उछालते रहे
कुछ कर न सके.षडयंत्र रचते रहे
अपने ही बिछाये जाल में फँसते रहे
जयचन्द प्रजापति 'कक्कूजी'
जैतापुर, हंडिया, इलाहाबाद
मो.07880438226
पता नहीं क्या खुद को समझते रहे
किसी की बात कभी नहीं सुना
अपनी ही बात जिन्दगी भर मनवाते रहे
वे प्यारे रात भर गलत सोंचते रहे
जिन्दगी की जंग कभी न जीतते रहे
यहाँ वहाँ गलत चक्कर लगाते रहे
बीच बाजार में वे पिटते रहे
गंदगी में रहने वाले गंदगी करते रहे
सारे जहाँ में वे कीचड़ उछालते रहे
कुछ कर न सके.षडयंत्र रचते रहे
अपने ही बिछाये जाल में फँसते रहे
जयचन्द प्रजापति 'कक्कूजी'
जैतापुर, हंडिया, इलाहाबाद
मो.07880438226
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