मंगलवार, 5 अप्रैल 2016

कविताप्रजा..कवि जयचन्द प्रजापति की कविता..हमारे कैलाश गौतम जी

हमारे कैलाश गौतम जी
..............................
ठेठ कविता सबसे पहले
फूटी गौतम जी के कण्ठों से
स्वर दिया रंग देहाती
गाँव की बोली को
गाँव की भौजी को
खेत खलिहानों को
चोर,उचक्कों को
खूब समझाया
कोर्ट कचेहरी की बात
गाँव की हरियाली को
पगडंडी पर खड़ी भौजी के घूँघट को
निहारे सरसों की चूनर को
संगम तट से पंचायत घर तक
लगाया ठहाका जोर से
मंचों के शान थे
गँवई बातें
विरही रातें
गाँव सिवानों को
खड़खड़िया साइकिल की बातें
अमवसा क मेला
खूब देखे जवानी में
गुप्तेसरा की बेइमानी पर
उनका दिल ठनका
बड़की भौजी की मेहनत को
खूब सराहा
बेटे को कचेहरी से
दूर रहने को कहा
बढई की गलती से
कुर्सी के लिये
रोज मचा है मारामारी
कह गये सब
हमारे कैलाश गौतम जी.

जयचन्द प्रजापति
जैतापुर, हंडिया, इलाहाबाद
मो.07880438226

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें